Original

वैशंपायन उवाच ।एवं कृष्णा विराटस्य भार्यया परिसान्त्विता ।न चैनां वेद तत्रान्यस्तत्त्वेन जनमेजय ॥ ३३ ॥

Segmented

वैशंपायन उवाच एवम् कृष्णा विराटस्य भार्यया परिसान्त्विता न च एनाम् वेद तत्र अन्यः तत्त्वेन जनमेजय

Analysis

Word Lemma Parse
वैशंपायन वैशम्पायन pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
एवम् एवम् pos=i
कृष्णा कृष्णा pos=n,g=f,c=1,n=s
विराटस्य विराट pos=n,g=m,c=6,n=s
भार्यया भार्या pos=n,g=f,c=3,n=s
परिसान्त्विता परिसान्त्वय् pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
pos=i
pos=i
एनाम् एनद् pos=n,g=f,c=2,n=s
वेद विद् pos=v,p=3,n=s,l=lit
तत्र तत्र pos=i
अन्यः अन्य pos=n,g=m,c=1,n=s
तत्त्वेन तत्त्व pos=n,g=n,c=3,n=s
जनमेजय जनमेजय pos=n,g=m,c=8,n=s