Original

कृप उवाच ।सदैव तव राधेय युद्धे क्रूरतरा मतिः ।नार्थानां प्रकृतिं वेत्थ नानुबन्धमवेक्षसे ॥ १ ॥

Segmented

कृप उवाच सदा एव तव राधेय युद्धे क्रूरतरा मतिः न अर्थानाम् प्रकृतिम् वेत्थ न अनुबन्धम् अवेक्षसे

Analysis

Word Lemma Parse
कृप कृप pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
सदा सदा pos=i
एव एव pos=i
तव त्वद् pos=n,g=,c=6,n=s
राधेय राधेय pos=n,g=m,c=8,n=s
युद्धे युद्ध pos=n,g=n,c=7,n=s
क्रूरतरा क्रूरतर pos=a,g=f,c=1,n=s
मतिः मति pos=n,g=f,c=1,n=s
pos=i
अर्थानाम् अर्थ pos=n,g=m,c=6,n=p
प्रकृतिम् प्रकृति pos=n,g=f,c=2,n=s
वेत्थ विद् pos=v,p=2,n=s,l=lit
pos=i
अनुबन्धम् अनुबन्ध pos=n,g=m,c=2,n=s
अवेक्षसे अवेक्ष् pos=v,p=2,n=s,l=lat