Original

उपशाम्यद्रजो भौमं रुधिरेण प्रसर्पता ।कश्मलं प्राविशद्घोरं निर्मर्यादमवर्तत ॥ १४ ॥

Segmented

उपशाम्यद् रजो भौमम् रुधिरेण प्रसर्पता कश्मलम् प्राविशद् घोरम् निर्मर्यादम् अवर्तत

Analysis

Word Lemma Parse
उपशाम्यद् उपशम् pos=v,p=3,n=s,l=lan
रजो रजस् pos=n,g=n,c=1,n=s
भौमम् भौम pos=a,g=n,c=1,n=s
रुधिरेण रुधिर pos=n,g=n,c=3,n=s
प्रसर्पता प्रसृप् pos=va,g=n,c=3,n=s,f=part
कश्मलम् कश्मल pos=n,g=n,c=1,n=s
प्राविशद् प्रविश् pos=v,p=3,n=s,l=lan
घोरम् घोर pos=a,g=n,c=1,n=s
निर्मर्यादम् निर्मर्याद pos=n,g=n,c=1,n=s
अवर्तत वृत् pos=v,p=3,n=s,l=lan