Original

अर्जुन उवाच ।प्रतिज्ञां षण्ढकोऽस्मीति करिष्यामि महीपते ।ज्याघातौ हि महान्तौ मे संवर्तुं नृप दुष्करौ ॥ २१ ॥

Segmented

अर्जुन उवाच प्रतिज्ञाम् षण्ढको अस्मि इति करिष्यामि महीपते ज्या-घातौ हि महान्तौ मे संवर्तुम् नृप दुष्करौ

Analysis

Word Lemma Parse
अर्जुन अर्जुन pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
प्रतिज्ञाम् प्रतिज्ञा pos=n,g=f,c=2,n=s
षण्ढको षण्ढक pos=n,g=m,c=1,n=s
अस्मि अस् pos=v,p=1,n=s,l=lat
इति इति pos=i
करिष्यामि कृ pos=v,p=1,n=s,l=lrt
महीपते महीपति pos=n,g=m,c=8,n=s
ज्या ज्या pos=n,comp=y
घातौ घात pos=n,g=m,c=1,n=d
हि हि pos=i
महान्तौ महत् pos=a,g=m,c=1,n=d
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
संवर्तुम् संवृ pos=vi
नृप नृप pos=n,g=m,c=8,n=s
दुष्करौ दुष्कर pos=a,g=m,c=1,n=d