Original

अगस्त्य उवाच ।वित्तार्थिनमनुप्राप्तं विद्धि मां पृथिवीपते ।यथाशक्त्यविहिंस्यान्यान्संविभागं प्रयच्छ मे ॥ ४ ॥

Segmented

अगस्त्य उवाच वित्त-अर्थिनम् अनुप्राप्तम् विद्धि माम् पृथिवीपते यथाशक्ति अविहिंस्य अन्यान् संविभागम् प्रयच्छ मे

Analysis

Word Lemma Parse
अगस्त्य अगस्त्य pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
वित्त वित्त pos=n,comp=y
अर्थिनम् अर्थिन् pos=a,g=m,c=2,n=s
अनुप्राप्तम् अनुप्राप् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
विद्धि विद् pos=v,p=2,n=s,l=lot
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
पृथिवीपते पृथिवीपति pos=n,g=m,c=8,n=s
यथाशक्ति यथाशक्ति pos=i
अविहिंस्य अविहिंस्य pos=i
अन्यान् अन्य pos=n,g=m,c=2,n=p
संविभागम् संविभाग pos=n,g=m,c=2,n=s
प्रयच्छ प्रयम् pos=v,p=2,n=s,l=lot
मे मद् pos=n,g=,c=4,n=s