महाभारतम् — 3.82.108
Original
Segmented
तत्र उदपानः धर्म-ज्ञ सर्व-पाप-प्रमोचनः समुद्रास् तत्र चत्वारः कूपे संनिहिताः सदा तत्र उपस्पृश्य राज-इन्द्र न दुर्गतिम् अवाप्नुयात्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तत्र | तत्र | pos=i |
उदपानः | उदपान | pos=n,g=m,c=1,n=s |
धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
ज्ञ | ज्ञ | pos=a,g=m,c=8,n=s |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
पाप | पाप | pos=n,comp=y |
प्रमोचनः | प्रमोचन | pos=a,g=m,c=1,n=s |
समुद्रास् | समुद्र | pos=n,g=m,c=1,n=p |
तत्र | तत्र | pos=i |
चत्वारः | चतुर् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
कूपे | कूप | pos=n,g=m,c=7,n=s |
संनिहिताः | संनिधा | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
सदा | सदा | pos=i |
तत्र | तत्र | pos=i |
उपस्पृश्य | उपस्पृश् | pos=vi |
राज | राजन् | pos=n,comp=y |
इन्द्र | इन्द्र | pos=n,g=m,c=8,n=s |
न | न | pos=i |
दुर्गतिम् | दुर्गति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अवाप्नुयात् | अवाप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |