Original

तत्र कोटिस्तु तीर्थानां विश्रुता भरतर्षभ ।कूर्मरूपेण राजेन्द्र असुरेण दुरात्मना ।ह्रियमाणाहृता राजन्विष्णुना प्रभविष्णुना ॥ १०४ ॥

Segmented

तत्र कोटिस् तु तीर्थानाम् विश्रुता भरत-ऋषभ कूर्म-रूपेण राज-इन्द्र असुरेण दुरात्मना हृ-आहृता राजन् विष्णुना प्रभविष्णुना

Analysis

Word Lemma Parse
तत्र तत्र pos=i
कोटिस् कोटि pos=n,g=f,c=1,n=s
तु तु pos=i
तीर्थानाम् तीर्थ pos=n,g=n,c=6,n=p
विश्रुता विश्रु pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
भरत भरत pos=n,comp=y
ऋषभ ऋषभ pos=n,g=m,c=8,n=s
कूर्म कूर्म pos=n,comp=y
रूपेण रूप pos=n,g=m,c=3,n=s
राज राजन् pos=n,comp=y
इन्द्र इन्द्र pos=n,g=m,c=8,n=s
असुरेण असुर pos=n,g=m,c=3,n=s
दुरात्मना दुरात्मन् pos=a,g=m,c=3,n=s
हृ हृ pos=va,comp=y,f=part
आहृता आहृ pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
राजन् राजन् pos=n,g=m,c=8,n=s
विष्णुना विष्णु pos=n,g=m,c=3,n=s
प्रभविष्णुना प्रभविष्णु pos=a,g=m,c=3,n=s