महाभारतम् — 3.81.56
Original
Segmented
श्यामाक-भोजनम् तत्र यः प्रयच्छति मानवः देवान् पितॄंः च उद्दिश्य तस्य धर्म-फलम् महत् एकस्मिन् भोजिते विप्रे कोटिः भवति भोजिता
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
श्यामाक | श्यामाक | pos=n,comp=y |
भोजनम् | भोजन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
तत्र | तत्र | pos=i |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
प्रयच्छति | प्रयम् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मानवः | मानव | pos=n,g=m,c=1,n=s |
देवान् | देव | pos=n,g=m,c=2,n=p |
पितॄंः | पितृ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
च | च | pos=i |
उद्दिश्य | उद्दिश् | pos=vi |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
धर्म | धर्म | pos=n,comp=y |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
महत् | महत् | pos=a,g=n,c=1,n=s |
एकस्मिन् | एक | pos=n,g=m,c=7,n=s |
भोजिते | भोजय् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
विप्रे | विप्र | pos=n,g=m,c=7,n=s |
कोटिः | कोटि | pos=n,g=f,c=1,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
भोजिता | भोजय् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |