महाभारतम् — 3.81.38
Original
Segmented
कपिलातीर्थम् आसाद्य ब्रह्मचारी समाहितः तत्र स्नात्वा अर्चयित्वा च दैवतानि पितॄंस् तथा कपिलानाम् सहस्रस्य फलम् विन्दति मानवः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
कपिलातीर्थम् | कपिलातीर्थ | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आसाद्य | आसादय् | pos=vi |
ब्रह्मचारी | ब्रह्मचारिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
समाहितः | समाहित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
तत्र | तत्र | pos=i |
स्नात्वा | स्ना | pos=vi |
अर्चयित्वा | अर्चय् | pos=vi |
च | च | pos=i |
दैवतानि | दैवत | pos=n,g=n,c=2,n=p |
पितॄंस् | पितृ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
तथा | तथा | pos=i |
कपिलानाम् | कपिला | pos=n,g=f,c=6,n=p |
सहस्रस्य | सहस्र | pos=n,g=n,c=6,n=s |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
विन्दति | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मानवः | मानव | pos=n,g=m,c=1,n=s |