महाभारतम् — 3.81.153
Original
Segmented
गङ्गाह्रदः च तत्र एव कूपः च भरत-ऋषभ तिस्रः कोट्यस् तु तीर्थानाम् तस्मिन् कूपे महीपते तत्र स्नात्वा नरो राजन् स्वर्ग-लोकम् प्रपद्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
गङ्गाह्रदः | गङ्गाह्रद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
तत्र | तत्र | pos=i |
एव | एव | pos=i |
कूपः | कूप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
भरत | भरत | pos=n,comp=y |
ऋषभ | ऋषभ | pos=n,g=m,c=8,n=s |
तिस्रः | त्रि | pos=n,g=f,c=1,n=p |
कोट्यस् | कोटि | pos=n,g=f,c=1,n=p |
तु | तु | pos=i |
तीर्थानाम् | तीर्थ | pos=n,g=n,c=6,n=p |
तस्मिन् | तद् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
कूपे | कूप | pos=n,g=m,c=7,n=s |
महीपते | महीपति | pos=n,g=m,c=8,n=s |
तत्र | तत्र | pos=i |
स्नात्वा | स्ना | pos=vi |
नरो | नर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
स्वर्ग | स्वर्ग | pos=n,comp=y |
लोकम् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्रपद्यते | प्रपद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |