Original

ब्रह्मतुङ्गं समासाद्य शुचिः प्रयतमानसः ।ब्रह्मलोकमवाप्नोति सुकृती विरजा नरः ॥ ९६ ॥

Segmented

ब्रह्मतुङ्गम् समासाद्य शुचिः प्रयत-मानसः ब्रह्म-लोकम् अवाप्नोति सुकृती विरजा नरः

Analysis

Word Lemma Parse
ब्रह्मतुङ्गम् ब्रह्मतुङ्ग pos=n,g=m,c=2,n=s
समासाद्य समासादय् pos=vi
शुचिः शुचि pos=a,g=m,c=1,n=s
प्रयत प्रयम् pos=va,comp=y,f=part
मानसः मानस pos=n,g=m,c=1,n=s
ब्रह्म ब्रह्मन् pos=n,comp=y
लोकम् लोक pos=n,g=m,c=2,n=s
अवाप्नोति अवाप् pos=v,p=3,n=s,l=lat
सुकृती सुकृतिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
विरजा विरजस् pos=a,g=m,c=1,n=s
नरः नर pos=n,g=m,c=1,n=s