महाभारतम् — 3.74.1
Original
Segmented
बृहदश्व उवाच सर्वम् विकारम् दृष्ट्वा तु पुण्यश्लोकस्य धीमतः आगत्य केशिनी क्षिप्रम् दमयन्त्यै न्यवेदयत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
बृहदश्व | बृहदश्व | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
सर्वम् | सर्व | pos=n,g=m,c=2,n=s |
विकारम् | विकार | pos=n,g=m,c=2,n=s |
दृष्ट्वा | दृश् | pos=vi |
तु | तु | pos=i |
पुण्यश्लोकस्य | पुण्यश्लोक | pos=n,g=m,c=6,n=s |
धीमतः | धीमत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
आगत्य | आगम् | pos=vi |
केशिनी | केशिनी | pos=n,g=f,c=1,n=s |
क्षिप्रम् | क्षिप्रम् | pos=i |
दमयन्त्यै | दमयन्ती | pos=n,g=f,c=4,n=s |
न्यवेदयत् | निवेदय् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |