महाभारतम् — 3.57.16
Original
Segmented
यत्र मे वचनम् राजा न अभिनन्दति मोहितः शरणम् त्वाम् प्रपन्ना अस्मि सारथे कुरु मद्-वचः न हि मे शुध्यते भावः कदाचिद् विनशेद् इति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यत्र | यत्र | pos=i |
मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
वचनम् | वचन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
राजा | राजन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
अभिनन्दति | अभिनन्द् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मोहितः | मोहय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
शरणम् | शरण | pos=n,g=n,c=2,n=s |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
प्रपन्ना | प्रपद् | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
अस्मि | अस् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
सारथे | सारथि | pos=n,g=m,c=8,n=s |
कुरु | कृ | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
मद् | मद् | pos=n,comp=y |
वचः | वचस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
न | न | pos=i |
हि | हि | pos=i |
मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
शुध्यते | शुध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
भावः | भाव | pos=n,g=m,c=1,n=s |
कदाचिद् | कदाचिद् | pos=i |
विनशेद् | विनश् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
इति | इति | pos=i |