महाभारतम् — 3.56.15
Original
Segmented
राजन् पौर-जनः द्वारि त्वाम् दिदृक्षुः अवस्थितः मन्त्रिभिः सहितः राज-भक्ति-पुरस्कृतः तम् द्रष्टुम् अर्हसि इति एवम् पुनः पुनः अभाषत
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
पौर | पौर | pos=n,comp=y |
जनः | जन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
द्वारि | द्वार् | pos=n,g=f,c=7,n=s |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
दिदृक्षुः | दिदृक्षु | pos=a,g=m,c=1,n=s |
अवस्थितः | अवस्था | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
मन्त्रिभिः | मन्त्रिन् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
सहितः | सहित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
राज | राजन् | pos=n,comp=y |
भक्ति | भक्ति | pos=n,comp=y |
पुरस्कृतः | पुरस्कृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
द्रष्टुम् | दृश् | pos=vi |
अर्हसि | अर्ह् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
इति | इति | pos=i |
एवम् | एवम् | pos=i |
पुनः | पुनर् | pos=i |
पुनः | पुनर् | pos=i |
अभाषत | भाष् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |