Original

न हि केवलधर्मात्मा पृथिवीं जातु कश्चन ।पार्थिवो व्यजयद्राजन्न भूतिं न पुनः श्रियम् ॥ ५६ ॥

Segmented

न हि केवल-धर्म-आत्मा पृथिवीम् जातु कश्चन पार्थिवो व्यजयद् राजन् न भूतिम् न पुनः श्रियम्

Analysis

Word Lemma Parse
pos=i
हि हि pos=i
केवल केवल pos=a,comp=y
धर्म धर्म pos=n,comp=y
आत्मा आत्मन् pos=n,g=m,c=1,n=s
पृथिवीम् पृथिवी pos=n,g=f,c=2,n=s
जातु जातु pos=i
कश्चन कश्चन pos=n,g=m,c=1,n=s
पार्थिवो पार्थिव pos=n,g=m,c=1,n=s
व्यजयद् विजि pos=v,p=3,n=s,l=lan
राजन् राजन् pos=n,g=m,c=8,n=s
pos=i
भूतिम् भूति pos=n,g=f,c=2,n=s
pos=i
पुनः पुनर् pos=i
श्रियम् श्री pos=n,g=f,c=2,n=s