महाभारतम् — 3.280.1
Original
Segmented
मार्कण्डेय उवाच ततः काले बहुतिथे व्यतिक्रान्ते कदाचन प्राप्तः स कालो मर्तव्यम् यत्र सत्यवता नृप
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मार्कण्डेय | मार्कण्डेय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
ततः | ततस् | pos=i |
काले | काल | pos=n,g=m,c=7,n=s |
बहुतिथे | बहुतिथ | pos=a,g=m,c=7,n=s |
व्यतिक्रान्ते | व्यतिक्रम् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
कदाचन | कदाचन | pos=i |
प्राप्तः | प्राप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
कालो | काल | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मर्तव्यम् | मृ | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=krtya |
यत्र | यत्र | pos=i |
सत्यवता | सत्यवन्त् | pos=n,g=m,c=3,n=s |
नृप | नृप | pos=n,g=m,c=8,n=s |