Original

न निर्मन्युः क्षत्रियोऽस्ति लोके निर्वचनं स्मृतम् ।तदद्य त्वयि पश्यामि क्षत्रिये विपरीतवत् ॥ ३४ ॥

Segmented

न निर्मन्युः क्षत्रियो ऽस्ति लोके निर्वचनम् स्मृतम् तद् अद्य त्वयि पश्यामि क्षत्रिये विपरीत-वत्

Analysis

Word Lemma Parse
pos=i
निर्मन्युः निर्मन्यु pos=a,g=m,c=1,n=s
क्षत्रियो क्षत्रिय pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽस्ति अस् pos=v,p=3,n=s,l=lat
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
निर्वचनम् निर्वचन pos=n,g=n,c=1,n=s
स्मृतम् स्मृ pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
तद् तद् pos=n,g=n,c=2,n=s
अद्य अद्य pos=i
त्वयि त्वद् pos=n,g=,c=7,n=s
पश्यामि दृश् pos=v,p=1,n=s,l=lat
क्षत्रिये क्षत्रिय pos=n,g=m,c=7,n=s
विपरीत विपरीत pos=a,comp=y
वत् वत् pos=i