Original

नागं प्रभिन्नं गिरिकूटकल्पमुपत्यकां हैमवतीं चरन्तम् ।दण्डीव यूथादपसेधसे त्वं यो जेतुमाशंससि धर्मराजम् ॥ ५ ॥

Segmented

नागम् प्रभिन्नम् गिरि-कूट-कल्पम् उपत्यकाम् हैमवतीम् चरन्तम् दण्डी इव यूथाद् अपसेधसे त्वम् यो जेतुम् आशंससि धर्मराजम्

Analysis

Word Lemma Parse
नागम् नाग pos=n,g=m,c=2,n=s
प्रभिन्नम् प्रभिद् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
गिरि गिरि pos=n,comp=y
कूट कूट pos=n,comp=y
कल्पम् कल्प pos=a,g=m,c=2,n=s
उपत्यकाम् उपत्यका pos=n,g=f,c=2,n=s
हैमवतीम् हैमवत pos=a,g=f,c=2,n=s
चरन्तम् चर् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
दण्डी दण्डिन् pos=n,g=m,c=1,n=s
इव इव pos=i
यूथाद् यूथ pos=n,g=m,c=5,n=s
अपसेधसे अपसिध् pos=v,p=2,n=s,l=lat
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
यो यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
जेतुम् जि pos=vi
आशंससि आशंस् pos=v,p=2,n=s,l=lat
धर्मराजम् धर्मराज pos=n,g=m,c=2,n=s