Original

दर्शनादेव हि मनस्तया मेऽपहृतं भृशम् ।तां समाचक्ष्व कल्याणीं यदि स्याच्छैब्य मानुषी ॥ ४ ॥

Segmented

दर्शनाद् एव हि मनस् तया मे ऽपहृतम् भृशम् ताम् समाचक्ष्व कल्याणीम् यदि स्यात् शैब्यैः मानुषी

Analysis

Word Lemma Parse
दर्शनाद् दर्शन pos=n,g=n,c=5,n=s
एव एव pos=i
हि हि pos=i
मनस् मनस् pos=n,g=n,c=1,n=s
तया तद् pos=n,g=f,c=3,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
ऽपहृतम् अपहृ pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
भृशम् भृशम् pos=i
ताम् तद् pos=n,g=f,c=2,n=s
समाचक्ष्व समाचक्ष् pos=v,p=2,n=s,l=lan
कल्याणीम् कल्याण pos=a,g=f,c=2,n=s
यदि यदि pos=i
स्यात् अस् pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin
शैब्यैः शैब्य pos=n,g=m,c=8,n=s
मानुषी मानुष pos=a,g=f,c=1,n=s