Original

वासुदेव उवाच ।ततोऽहं भरतश्रेष्ठ प्रगृह्य रुचिरं धनुः ।शरैरपातयं सौभाच्छिरांसि विबुधद्विषाम् ॥ १ ॥

Segmented

वासुदेव उवाच ततो ऽहम् भरत-श्रेष्ठ प्रगृह्य रुचिरम् धनुः शरैः अपातयम् सौभात् शिरांसि विबुध-द्विषाम्

Analysis

Word Lemma Parse
वासुदेव वासुदेव pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
ततो ततस् pos=i
ऽहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
भरत भरत pos=n,comp=y
श्रेष्ठ श्रेष्ठ pos=a,g=m,c=8,n=s
प्रगृह्य प्रग्रह् pos=vi
रुचिरम् रुचिर pos=a,g=n,c=2,n=s
धनुः धनुस् pos=n,g=n,c=2,n=s
शरैः शर pos=n,g=m,c=3,n=p
अपातयम् पातय् pos=v,p=1,n=s,l=lan
सौभात् सौभ pos=n,g=n,c=5,n=s
शिरांसि शिरस् pos=n,g=n,c=2,n=p
विबुध विबुध pos=n,comp=y
द्विषाम् द्विष् pos=a,g=m,c=6,n=p