महाभारतम् — 3.222.1
Original
Segmented
वैशम्पायन उवाच उपासीनेषु विप्रेषु पाण्डवेषु महात्मसु द्रौपदी सत्यभामा च विविशाते तदा सु प्रीते सुखम् तत्र निषीदतुः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वैशम्पायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
उपासीनेषु | उपास् | pos=va,g=m,c=7,n=p,f=part |
विप्रेषु | विप्र | pos=n,g=m,c=7,n=p |
पाण्डवेषु | पाण्डव | pos=n,g=m,c=7,n=p |
महात्मसु | महात्मन् | pos=a,g=m,c=7,n=p |
द्रौपदी | द्रौपदी | pos=n,g=f,c=1,n=s |
सत्यभामा | सत्यभामा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
विविशाते | तदा | pos=i |
तदा | सम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
सु | सु | pos=i |
प्रीते | प्री | pos=va,g=f,c=1,n=d,f=part |
सुखम् | सुखम् | pos=i |
तत्र | तत्र | pos=i |
निषीदतुः | निषद् | pos=v,p=3,n=d,l=lan |