Original

अन्तराग्निः श्रितो यो हि भुक्तं पचति देहिनाम् ।स यज्ञे विश्वभुङ्नाम सर्वलोकेषु भारत ॥ १७ ॥

Segmented

अन्तर-अग्निः श्रितो यो हि भुक्तम् पचति देहिनाम् स यज्ञे विश्वभुङ् नाम सर्व-लोकेषु भारत

Analysis

Word Lemma Parse
अन्तर अन्तर pos=a,comp=y
अग्निः अग्नि pos=n,g=m,c=1,n=s
श्रितो श्रि pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
यो यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
हि हि pos=i
भुक्तम् भुक्त pos=n,g=n,c=2,n=s
पचति पच् pos=v,p=3,n=s,l=lat
देहिनाम् देहिन् pos=n,g=m,c=6,n=p
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
यज्ञे यज्ञ pos=n,g=m,c=7,n=s
विश्वभुङ् विश्वभुज् pos=n,g=m,c=1,n=s
नाम नाम pos=i
सर्व सर्व pos=n,comp=y
लोकेषु लोक pos=n,g=m,c=7,n=p
भारत भारत pos=n,g=m,c=8,n=s