महाभारतम् — 3.209.1
Original
Segmented
मार्कण्डेय उवाच बृहस्पतेः चान्द्रमसी भार्या अभूत् या यशस्विनी अग्नीन् सा अजनयत् पुण्यान् षट् एकाम् च अपि पुत्रिकाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मार्कण्डेय | मार्कण्डेय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
बृहस्पतेः | बृहस्पति | pos=n,g=m,c=6,n=s |
चान्द्रमसी | चान्द्रमसी | pos=n,g=f,c=1,n=s |
भार्या | भार्या | pos=n,g=f,c=1,n=s |
अभूत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lun |
या | यद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
यशस्विनी | यशस्विन् | pos=a,g=f,c=1,n=s |
अग्नीन् | अग्नि | pos=n,g=m,c=2,n=p |
सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
अजनयत् | जनय् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
पुण्यान् | पुण्य | pos=a,g=m,c=2,n=p |
षट् | षष् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
एकाम् | एक | pos=n,g=f,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
पुत्रिकाम् | पुत्रिका | pos=n,g=f,c=2,n=s |