महाभारतम् — 3.2.41
Original
Segmented
कार्पण्यम् दर्प-मानौ च भयम् उद्वेग एव च अर्थ-जानि विदुः प्राज्ञा दुःखान्य् एतानि देहिनाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
कार्पण्यम् | कार्पण्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
दर्प | दर्प | pos=n,comp=y |
मानौ | मान | pos=n,g=m,c=1,n=d |
च | च | pos=i |
भयम् | भय | pos=n,g=n,c=1,n=s |
उद्वेग | उद्वेग | pos=n,g=m,c=1,n=s |
एव | एव | pos=i |
च | च | pos=i |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
जानि | ज | pos=a,g=n,c=2,n=p |
विदुः | विद् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
प्राज्ञा | प्राज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=p |
दुःखान्य् | दुःख | pos=n,g=n,c=2,n=p |
एतानि | एतद् | pos=n,g=n,c=2,n=p |
देहिनाम् | देहिन् | pos=n,g=m,c=6,n=p |