महाभारतम् — 3.2.34
Original
Segmented
तृष्णा हि सर्व-पापिष्ठा नित्य-उद्वेग-करी नृणाम् अधर्म-बहुला च एव घोरा पाप-अनुबन्धिन्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तृष्णा | तृष्णा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
हि | हि | pos=i |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
पापिष्ठा | पापिष्ठ | pos=a,g=f,c=1,n=s |
नित्य | नित्य | pos=a,comp=y |
उद्वेग | उद्वेग | pos=n,comp=y |
करी | कर | pos=a,g=f,c=1,n=s |
नृणाम् | नृ | pos=n,g=,c=6,n=p |
अधर्म | अधर्म | pos=n,comp=y |
बहुला | बहुल | pos=a,g=f,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
एव | एव | pos=i |
घोरा | घोर | pos=a,g=f,c=1,n=s |
पाप | पाप | pos=n,comp=y |
अनुबन्धिन् | अनुबन्धिन् | pos=a,g=f,c=1,n=s |