महाभारतम् — 3.192.17
Original
Segmented
देवानाम् मानुषाणाम् च सर्व-भूत-सुख-आवहः त्रिभिः विक्रमणैः देव त्रयो लोकास् त्वया आहृताः असुराणाम् समृद्धानाम् विनाशः च त्वया कृतः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
देवानाम् | देव | pos=n,g=m,c=6,n=p |
मानुषाणाम् | मानुष | pos=n,g=m,c=6,n=p |
च | च | pos=i |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
भूत | भूत | pos=n,comp=y |
सुख | सुख | pos=n,comp=y |
आवहः | आवह | pos=a,g=m,c=1,n=s |
त्रिभिः | त्रि | pos=n,g=n,c=3,n=p |
विक्रमणैः | विक्रमण | pos=n,g=n,c=3,n=p |
देव | देव | pos=n,g=m,c=8,n=s |
त्रयो | त्रि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
लोकास् | लोक | pos=n,g=m,c=1,n=p |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
आहृताः | आहृ | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
असुराणाम् | असुर | pos=n,g=m,c=6,n=p |
समृद्धानाम् | समृध् | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |
विनाशः | विनाश | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
कृतः | कृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |