Original

यच्च किंचित्त्वया लोके दृष्टं स्थावरजङ्गमम् ।विहितः सर्वथैवासौ ममात्मा मुनिसत्तम ॥ ३७ ॥

Segmented

यत् च किंचित् त्वया लोके दृष्टम् स्थावर-जंगमम् विहितः सर्वथा एव असौ मे आत्मा मुनि-सत्तम

Analysis

Word Lemma Parse
यत् यद् pos=n,g=n,c=1,n=s
pos=i
किंचित् कश्चित् pos=n,g=n,c=1,n=s
त्वया त्वद् pos=n,g=,c=3,n=s
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
दृष्टम् दृश् pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
स्थावर स्थावर pos=a,comp=y
जंगमम् जङ्गम pos=a,g=n,c=1,n=s
विहितः विधा pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
सर्वथा सर्वथा pos=i
एव एव pos=i
असौ अदस् pos=n,g=m,c=1,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
आत्मा आत्मन् pos=n,g=m,c=1,n=s
मुनि मुनि pos=n,comp=y
सत्तम सत्तम pos=a,g=m,c=8,n=s