महाभारतम् — 3.177.29
Original
Segmented
प्राङ् नाभि-वर्धनात् पुंसो जातकर्म विधीयते तत्र अस्य माता सावित्री पिता तु आचार्यः उच्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्राङ् | प्राञ्च् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
नाभि | नाभि | pos=n,comp=y |
वर्धनात् | वर्धन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
पुंसो | पुंस् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
जातकर्म | जातकर्मन् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
विधीयते | विधा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तत्र | तत्र | pos=i |
अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
माता | मातृ | pos=n,g=f,c=1,n=s |
सावित्री | सावित्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |
पिता | पितृ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तु | तु | pos=i |
आचार्यः | आचार्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उच्यते | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |