महाभारतम् — 3.174.1
Original
Segmented
वैशम्पायन उवाच नग-उत्तमम् प्रस्रवणैः उपेतम् दिशाम् गजैः किन्नर-पक्षिभिः च सुखम् निवासम् जहताम् हि तेषाम् न प्रीतिः आसीद् भरत-ऋषभाणाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वैशम्पायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
नग | नग | pos=n,comp=y |
उत्तमम् | उत्तम | pos=a,g=m,c=2,n=s |
प्रस्रवणैः | प्रस्रवण | pos=n,g=n,c=3,n=p |
उपेतम् | उपे | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
दिशाम् | दिश् | pos=n,g=f,c=6,n=p |
गजैः | गज | pos=n,g=m,c=3,n=p |
किन्नर | किंनर | pos=n,comp=y |
पक्षिभिः | पक्षिन् | pos=n,g=m,c=3,n=p |
च | च | pos=i |
सुखम् | सुख | pos=a,g=m,c=2,n=s |
निवासम् | निवास | pos=n,g=m,c=2,n=s |
जहताम् | हा | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |
हि | हि | pos=i |
तेषाम् | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
न | न | pos=i |
प्रीतिः | प्रीति | pos=n,g=f,c=1,n=s |
आसीद् | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
भरत | भरत | pos=n,comp=y |
ऋषभाणाम् | ऋषभ | pos=n,g=m,c=6,n=p |