महाभारतम् — 3.154.10
Original
Segmented
समृद्ध्या हि अस्य लोकस्य लोको युष्माकम् ऋध्यते इमम् च लोकम् शोचन्तम् अनुशोचन्ति देवताः पूजय् च वर्धन्ते हव्य-कव्यैः यथाविधि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
समृद्ध्या | समृद्धि | pos=n,g=f,c=3,n=s |
हि | हि | pos=i |
अस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
लोकस्य | लोक | pos=n,g=m,c=6,n=s |
लोको | लोक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
युष्माकम् | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=p |
ऋध्यते | ऋध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
इमम् | इदम् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
लोकम् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=s |
शोचन्तम् | शुच् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
अनुशोचन्ति | अनुशुच् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
देवताः | देवता | pos=n,g=f,c=1,n=p |
पूजय् | पूजय् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
च | च | pos=i |
वर्धन्ते | वृध् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
हव्य | हव्य | pos=n,comp=y |
कव्यैः | कव्य | pos=n,g=n,c=3,n=p |
यथाविधि | यथाविधि | pos=i |