Original

द्वारपाल उवाच ।सरस्वतीमीरय वेदजुष्टामेकाक्षरां बहुरूपां विराजम् ।अङ्गात्मानं समवेक्षस्व बालं किं श्लाघसे दुर्लभा वादसिद्धिः ॥ ८ ॥

Segmented

द्वारपाल उवाच सरस्वतीम् ईरय वेद-जुष्टाम् एक-अक्षराम् बहु-रूपाम् विराजम् अङ्ग-आत्मानम् समवेक्षस्व बालम् किम् श्लाघसे दुर्लभा वाद-सिद्धिः

Analysis

Word Lemma Parse
द्वारपाल द्वारपाल pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
सरस्वतीम् सरस्वती pos=n,g=f,c=2,n=s
ईरय ईरय् pos=v,p=2,n=s,l=lot
वेद वेद pos=n,comp=y
जुष्टाम् जुष् pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
एक एक pos=n,comp=y
अक्षराम् अक्षर pos=n,g=f,c=2,n=s
बहु बहु pos=a,comp=y
रूपाम् रूप pos=n,g=f,c=2,n=s
विराजम् विराज् pos=n,g=f,c=2,n=s
अङ्ग अङ्ग pos=n,comp=y
आत्मानम् आत्मन् pos=n,g=m,c=2,n=s
समवेक्षस्व समवेक्ष् pos=v,p=2,n=s,l=lot
बालम् बाल pos=a,g=m,c=2,n=s
किम् pos=n,g=n,c=2,n=s
श्लाघसे श्लाघ् pos=v,p=2,n=s,l=lat
दुर्लभा दुर्लभ pos=a,g=f,c=1,n=s
वाद वाद pos=n,comp=y
सिद्धिः सिद्धि pos=n,g=f,c=1,n=s