Original

स दृष्ट्वा पाण्डवान्दूरात्कृष्णाजिनसमावृतान् ।आवृणोत्तद्वनद्वारं मैनाक इव पर्वतः ॥ १५ ॥

Segmented

स दृष्ट्वा पाण्डवान् दूरात् कृष्ण-अजिन-समावृतान् आवृणोत् तत् वन-द्वारम् मैनाक इव पर्वतः

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
पाण्डवान् पाण्डव pos=n,g=m,c=2,n=p
दूरात् दूरात् pos=i
कृष्ण कृष्ण pos=a,comp=y
अजिन अजिन pos=n,comp=y
समावृतान् समावृ pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part
आवृणोत् आवृ pos=v,p=3,n=s,l=lan
तत् तद् pos=n,g=n,c=2,n=s
वन वन pos=n,comp=y
द्वारम् द्वार pos=n,g=n,c=2,n=s
मैनाक मैनाक pos=n,g=m,c=1,n=s
इव इव pos=i
पर्वतः पर्वत pos=n,g=m,c=1,n=s