महाभारतम् — 2.63.5
Original
Segmented
प्रयोजनम् च आत्मनि किम् नु मन्यते पराक्रमम् पौरुषम् च इह पार्थः पाञ्चाल्यस्य द्रुपदस्य आत्मजाम् इमाम् सभ-मध्ये यो ऽतिदेवीद् ग्लहेषु
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रयोजनम् | प्रयोजन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
आत्मनि | आत्मन् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
किम् | क | pos=n,g=n,c=2,n=s |
नु | नु | pos=i |
मन्यते | मन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
पराक्रमम् | पराक्रम | pos=n,g=m,c=2,n=s |
पौरुषम् | पौरुष | pos=n,g=n,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
इह | इह | pos=i |
पार्थः | पार्थ | pos=n,g=m,c=1,n=s |
पाञ्चाल्यस्य | पाञ्चाल्य | pos=a,g=m,c=6,n=s |
द्रुपदस्य | द्रुपद | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आत्मजाम् | आत्मजा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
इमाम् | इदम् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
सभ | सभा | pos=n,comp=y |
मध्ये | मध्य | pos=n,g=n,c=7,n=s |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽतिदेवीद् | अतिदिव् | pos=v,p=3,n=s,l=lun |
ग्लहेषु | ग्लह | pos=n,g=m,c=7,n=p |