Original

धृतराष्ट्र उवाच ।वरं वृणीष्व पाञ्चालि मत्तो यदभिकाङ्क्षसि ।वधूनां हि विशिष्टा मे त्वं धर्मपरमा सती ॥ २७ ॥

Segmented

धृतराष्ट्र उवाच वरम् वृणीष्व पाञ्चालि मत्तो यद् अभिकाङ्क्षसि वधूनाम् हि विशिष्टा मे त्वम् धर्म-परमा सती

Analysis

Word Lemma Parse
धृतराष्ट्र धृतराष्ट्र pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
वरम् वर pos=n,g=m,c=2,n=s
वृणीष्व वृ pos=v,p=2,n=s,l=lot
पाञ्चालि पाञ्चाली pos=n,g=f,c=8,n=s
मत्तो मद् pos=n,g=m,c=5,n=s
यद् यद् pos=n,g=n,c=2,n=s
अभिकाङ्क्षसि अभिकाङ्क्ष् pos=v,p=2,n=s,l=lat
वधूनाम् वधू pos=n,g=f,c=6,n=p
हि हि pos=i
विशिष्टा विशिष् pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
परमा परम pos=a,g=f,c=1,n=s
सती सती pos=n,g=f,c=1,n=s