महाभारतम् — 2.51.11
Original
Segmented
अनर्थम् अर्थम् मन्यसे राज-पुत्र संग्रन्थनम् कलहस्य अति घोरम् तद् वै प्रवृत्तम् तु यथा कथंचिद् विमोक्षयेत् च अपि असि-सायकान् च
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अनर्थम् | अनर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
मन्यसे | मन् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
राज | राजन् | pos=n,comp=y |
पुत्र | पुत्र | pos=n,g=m,c=8,n=s |
संग्रन्थनम् | संग्रन्थन | pos=n,g=n,c=1,n=s |
कलहस्य | कलह | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अति | अति | pos=i |
घोरम् | घोर | pos=a,g=n,c=1,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
वै | वै | pos=i |
प्रवृत्तम् | प्रवृत् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
तु | तु | pos=i |
यथा | यथा | pos=i |
कथंचिद् | कथंचिद् | pos=i |
विमोक्षयेत् | विमोक्षय् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
च | च | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
असि | असि | pos=n,comp=y |
सायकान् | सायक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
च | च | pos=i |