Original

कच्चिल्लवं च मुष्टिं च परराष्ट्रे परंतप ।अविहाय महाराज विहंसि समरे रिपून् ॥ ५४ ॥

Segmented

कच्चिल् लवम् च मुष्टिम् च पर-राष्ट्रे परंतप अविहाय महा-राज विहंसि समरे रिपून्

Analysis

Word Lemma Parse
कच्चिल् कश्चित् pos=n,g=n,c=2,n=s
लवम् लव pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
मुष्टिम् मुष्टि pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
पर पर pos=n,comp=y
राष्ट्रे राष्ट्र pos=n,g=n,c=7,n=s
परंतप परंतप pos=a,g=m,c=8,n=s
अविहाय अविहाय pos=i
महा महत् pos=a,comp=y
राज राज pos=n,g=m,c=8,n=s
विहंसि विहन् pos=v,p=2,n=s,l=lat
समरे समर pos=n,g=m,c=7,n=s
रिपून् रिपु pos=n,g=m,c=2,n=p