महाभारतम् — 2.5.116
Original
Segmented
नारद उवाच एवम् यो वर्तते राजा चातुर्वर्ण्यस्य रक्षणे स विहृत्य इह सु सुखी शक्रस्य एति सलोकताम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
नारद | नारद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
एवम् | एवम् | pos=i |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
वर्तते | वृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
राजा | राजन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
चातुर्वर्ण्यस्य | चातुर्वर्ण्य | pos=n,g=n,c=6,n=s |
रक्षणे | रक्षण | pos=n,g=n,c=7,n=s |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विहृत्य | विहृ | pos=vi |
इह | इह | pos=i |
सु | सु | pos=i |
सुखी | सुखिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
शक्रस्य | शक्र | pos=n,g=m,c=6,n=s |
एति | इ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
सलोकताम् | सलोकता | pos=n,g=f,c=2,n=s |