महाभारतम् — 2.30.47
Original
Segmented
तेषाम् आवसथान् चक्रुः धर्मराजस्य शासनात् बहु-अन्नान् शयनैः युक्तान् स गणानाम् पृथक् पृथक् सर्व-ऋतु-गुण-सम्पन्नान् शिल्पिन् ऽथ सहस्रशः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तेषाम् | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
आवसथान् | आवसथ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
चक्रुः | कृ | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
धर्मराजस्य | धर्मराज | pos=n,g=m,c=6,n=s |
शासनात् | शासन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
बहु | बहु | pos=a,comp=y |
अन्नान् | अन्न | pos=n,g=m,c=2,n=p |
शयनैः | शयन | pos=n,g=n,c=3,n=p |
युक्तान् | युज् | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
स | स | pos=i |
गणानाम् | गण | pos=n,g=m,c=6,n=p |
पृथक् | पृथक् | pos=i |
पृथक् | पृथक् | pos=i |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
ऋतु | ऋतु | pos=n,comp=y |
गुण | गुण | pos=n,comp=y |
सम्पन्नान् | सम्पद् | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
शिल्पिन् | शिल्पिन् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
ऽथ | अथ | pos=i |
सहस्रशः | सहस्रशस् | pos=i |