महाभारतम् — 18.1.3
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच स्वर्गम् त्रिविष्टपम् प्राप्य तव पूर्व-पितामहाः युधिष्ठिर-प्रभृतयः यद् अकुर्वत तत् शृणु
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
स्वर्गम् | स्वर्ग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
त्रिविष्टपम् | त्रिविष्टप | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
तव | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
पूर्व | पूर्व | pos=n,comp=y |
पितामहाः | पितामह | pos=n,g=m,c=1,n=p |
युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,comp=y |
प्रभृतयः | प्रभृति | pos=n,g=m,c=1,n=p |
यद् | यद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अकुर्वत | कृ | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
शृणु | श्रु | pos=v,p=2,n=s,l=lot |