महाभारतम् — 17.3.1
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच ततः संनादय् शक्रः दिवम् भूमिम् च सर्वशः रथेन उपययौ पार्थम् आरोह इति अब्रवीत् च तम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
ततः | ततस् | pos=i |
संनादय् | संनादय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
शक्रः | शक्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
दिवम् | दिव् | pos=n,g=,c=2,n=s |
भूमिम् | भूमि | pos=n,g=f,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
सर्वशः | सर्वशस् | pos=i |
रथेन | रथ | pos=n,g=m,c=3,n=s |
उपययौ | उपया | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
पार्थम् | पार्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
आरोह | आरुह् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
इति | इति | pos=i |
अब्रवीत् | ब्रू | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
च | च | pos=i |
तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |