महाभारतम् — 15.37.1
Original
Segmented
वैशंपायन उवाच तत् श्रुत्वा विविधम् तस्य राज-ऋषेः परिदेवितम् पुनः नवीकृतः शोको गान्धार्या जनमेजय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
वैशंपायन | वैशम्पायन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
श्रुत्वा | श्रु | pos=vi |
विविधम् | विविध | pos=a,g=n,c=2,n=s |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
राज | राजन् | pos=n,comp=y |
ऋषेः | ऋषि | pos=n,g=m,c=6,n=s |
परिदेवितम् | परिदेवित | pos=n,g=n,c=2,n=s |
पुनः | पुनर् | pos=i |
नवीकृतः | नवीकृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
शोको | शोक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
गान्धार्या | गान्धारी | pos=n,g=f,c=6,n=s |
जनमेजय | जनमेजय | pos=n,g=m,c=8,n=s |