Original

स्मरन्नेव च तं प्राह मातङ्गः प्रहसन्निव ।एह्युत्तङ्क प्रतीच्छस्व मत्तो वारि भृगूद्वह ।कृपा हि मे सुमहती त्वां दृष्ट्वा तृट्समाहतम् ॥ १७ ॥

Segmented

स्मरन्न् एव च तम् प्राह मातङ्गः प्रहसन्न् इव एहि उत्तङ्कैः प्रतीच्छस्व मत्तो वारि भृगु-उद्वह कृपा हि मे सु महती त्वाम् दृष्ट्वा तृः-समाहतम्

Analysis

Word Lemma Parse
स्मरन्न् स्मृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
एव एव pos=i
pos=i
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
प्राह प्राह् pos=v,p=3,n=s,l=lit
मातङ्गः मातंग pos=n,g=m,c=1,n=s
प्रहसन्न् प्रहस् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
इव इव pos=i
एहि pos=v,p=2,n=s,l=lot
उत्तङ्कैः उत्तङ्क pos=n,g=m,c=8,n=s
प्रतीच्छस्व प्रतीष् pos=v,p=2,n=s,l=lot
मत्तो मद् pos=n,g=m,c=5,n=s
वारि वारि pos=n,g=n,c=2,n=s
भृगु भृगु pos=n,comp=y
उद्वह उद्वह pos=n,g=m,c=8,n=s
कृपा कृपा pos=n,g=f,c=1,n=s
हि हि pos=i
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
सु सु pos=i
महती महत् pos=a,g=f,c=1,n=s
त्वाम् त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
तृः तृष् pos=n,comp=y
समाहतम् समाहन् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part