महाभारतम् — 14.48.2
Original
Segmented
उच्छ्वास-मात्रम् अपि चेद् यो अन्त-काले समो भवेत् आत्मानम् उपसंगम्य सो अमृत-त्वाय कल्पते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
उच्छ्वास | उच्छ्वास | pos=n,comp=y |
मात्रम् | मात्र | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
चेद् | चेद् | pos=i |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
अन्त | अन्त | pos=n,comp=y |
काले | काल | pos=n,g=m,c=7,n=s |
समो | सम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
भवेत् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
आत्मानम् | आत्मन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
उपसंगम्य | उपसंगम् | pos=vi |
सो | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
अमृत | अमृत | pos=a,comp=y |
त्वाय | त्व | pos=n,g=n,c=4,n=s |
कल्पते | क्ᄆप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |