महाभारतम् — 14.35.1
Original
Segmented
अर्जुन उवाच ब्रह्म यत् परमम् वेद्यम् तत् मे व्याख्यातुम् अर्हसि भवतो हि प्रसादेन सूक्ष्मे मे रमते मतिः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अर्जुन | अर्जुन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
यत् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
परमम् | परम | pos=a,g=n,c=1,n=s |
वेद्यम् | विद् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=krtya |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
मे | मद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
व्याख्यातुम् | व्याख्या | pos=vi |
अर्हसि | अर्ह् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
भवतो | भवत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
हि | हि | pos=i |
प्रसादेन | प्रसाद | pos=n,g=m,c=3,n=s |
सूक्ष्मे | सूक्ष्म | pos=a,g=n,c=7,n=s |
मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
रमते | रम् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मतिः | मति | pos=n,g=f,c=1,n=s |