महाभारतम् — 14.30.15
Original
Segmented
अलर्क उवाच स्पृष्ट्वा त्वग् विविधान् स्पर्शान् तान् एव प्रतिगृध्यति तस्मात् त्वचम् पाटयिष्ये विविधैः कङ्क-पत्त्रिन्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अलर्क | अलर्क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
स्पृष्ट्वा | स्पृश् | pos=vi |
त्वग् | त्वच् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
विविधान् | विविध | pos=a,g=m,c=2,n=p |
स्पर्शान् | स्पर्श | pos=n,g=m,c=2,n=p |
तान् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
एव | एव | pos=i |
प्रतिगृध्यति | प्रतिगृध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तस्मात् | तस्मात् | pos=i |
त्वचम् | त्वच् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
पाटयिष्ये | पाटय् | pos=v,p=1,n=s,l=lrt |
विविधैः | विविध | pos=a,g=m,c=3,n=p |
कङ्क | कङ्क | pos=n,comp=y |
पत्त्रिन् | पत्त्रिन् | pos=a,g=m,c=3,n=p |