महाभारतम् — 14.28.5
Original
Segmented
नित्यस्य च एतस्य भवन्ति नित्या निरीक्षमाणस्य बहून् स्वभावान् न सज्जते कर्मसु भोग-जालम् दिवि इव सूर्यस्य मयूख-जालम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
नित्यस्य | नित्य | pos=a,g=m,c=6,n=s |
च | च | pos=i |
एतस्य | एतद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
भवन्ति | भू | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
नित्या | नित्य | pos=a,g=m,c=1,n=p |
निरीक्षमाणस्य | निरीक्ष् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
बहून् | बहु | pos=a,g=m,c=2,n=p |
स्वभावान् | स्वभाव | pos=n,g=m,c=2,n=p |
न | न | pos=i |
सज्जते | सञ्ज् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
कर्मसु | कर्मन् | pos=n,g=n,c=7,n=p |
भोग | भोग | pos=n,comp=y |
जालम् | जाल | pos=n,g=n,c=1,n=s |
दिवि | दिव् | pos=n,g=,c=7,n=s |
इव | इव | pos=i |
सूर्यस्य | सूर्य | pos=n,g=m,c=6,n=s |
मयूख | मयूख | pos=n,comp=y |
जालम् | जाल | pos=n,g=n,c=1,n=s |