महाभारतम् — 13.96.35
Original
Segmented
भरद्वाज उवाच सर्व-पाप-समादानम् नृशंसे च अनृते च यत् तत् तस्य अस्तु सदा पापम् यः ते हरति पुष्करम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भरद्वाज | भरद्वाज | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
पाप | पाप | pos=n,comp=y |
समादानम् | समादान | pos=n,g=n,c=1,n=s |
नृशंसे | नृशंस | pos=a,g=m,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
अनृते | अनृत | pos=a,g=m,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
यत् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अस्तु | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
सदा | सदा | pos=i |
पापम् | पाप | pos=n,g=n,c=1,n=s |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
हरति | हृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
पुष्करम् | पुष्कर | pos=n,g=n,c=2,n=s |