महाभारतम् — 13.83.8
Original
Segmented
कस्माद् दानम् सुवर्णस्य पूजयन्ति मनीषिणः कस्मात् च दक्षिणा-अर्थम् तद् यज्ञ-कर्मसु शस्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
कस्माद् | कस्मात् | pos=i |
दानम् | दान | pos=n,g=n,c=2,n=s |
सुवर्णस्य | सुवर्ण | pos=n,g=n,c=6,n=s |
पूजयन्ति | पूजय् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
मनीषिणः | मनीषिन् | pos=a,g=m,c=1,n=p |
कस्मात् | कस्मात् | pos=i |
च | च | pos=i |
दक्षिणा | दक्षिणा | pos=n,comp=y |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
यज्ञ | यज्ञ | pos=n,comp=y |
कर्मसु | कर्मन् | pos=n,g=n,c=7,n=p |
शस्यते | शंस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |