महाभारतम् — 13.77.3
Original
Segmented
सौदास उवाच त्रैलोक्ये भगवन् किम् स्वित् पवित्रम् कथ्यते ऽनघ यत् कीर्तयन् सदा मर्त्यः प्राप्नुयात् पुण्यम् उत्तमम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सौदास | सौदास | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
त्रैलोक्ये | त्रैलोक्य | pos=n,g=n,c=7,n=s |
भगवन् | भगवत् | pos=a,g=m,c=8,n=s |
किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
स्वित् | स्विद् | pos=i |
पवित्रम् | पवित्र | pos=n,g=n,c=1,n=s |
कथ्यते | कथय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
ऽनघ | अनघ | pos=a,g=m,c=8,n=s |
यत् | यद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
कीर्तयन् | कीर्तय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
सदा | सदा | pos=i |
मर्त्यः | मर्त्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
प्राप्नुयात् | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
पुण्यम् | पुण्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
उत्तमम् | उत्तम | pos=a,g=n,c=2,n=s |