Original

तां दृष्ट्वा चारुसर्वाङ्गीं पप्रच्छाप्सरसं मुनिः ।संशयो हृदि मे कश्चित्तन्मे ब्रूहि सुमध्यमे ॥ ४ ॥

Segmented

ताम् दृष्ट्वा चारु-सर्व-अङ्गीम् पप्रच्छ अप्सरसम् मुनिः संशयो हृदि मे कश्चित् तत् मे ब्रूहि सुमध्यमे

Analysis

Word Lemma Parse
ताम् तद् pos=n,g=f,c=2,n=s
दृष्ट्वा दृश् pos=vi
चारु चारु pos=a,comp=y
सर्व सर्व pos=n,comp=y
अङ्गीम् अङ्ग pos=a,g=f,c=2,n=s
पप्रच्छ प्रच्छ् pos=v,p=3,n=s,l=lit
अप्सरसम् अप्सरस् pos=n,g=f,c=2,n=s
मुनिः मुनि pos=n,g=m,c=1,n=s
संशयो संशय pos=n,g=m,c=1,n=s
हृदि हृद् pos=n,g=n,c=7,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
कश्चित् कश्चित् pos=n,g=m,c=1,n=s
तत् तद् pos=n,g=n,c=2,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
ब्रूहि ब्रू pos=v,p=2,n=s,l=lot
सुमध्यमे सुमध्यमा pos=n,g=f,c=8,n=s